नीमच। पुरानी कहावत है झूठ बोले कौआ काटे, परन्तु नीमच नगरपालिका के झूठ से कुत्ते काट रहे हैं। नीमच नगर पालिका ने कहा था कि नीमच शहरी क्षेत्र के 5000 से अधिक कुत्तों की नसबन्दी की गई है बदले में 32 लाख का भुगतान किया गया है। यदि कुत्तों की नसबन्दी कर दी गई थी तो नीमच षहर में कुत्तों की संख्या पहले से और ज्यादा कैसे हो गई।
उक्त आशय का सवाल करते हुए नगर पालिका के पूर्व स्वास्थ्य सभापति डॉ. पृथ्वी सिंह वर्मा ने कहा कि नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारी मान रहे हैं कि नसबंदी के कारण गडबडी हुई है। अगर गडबडी हुई है तो इसकी जांच क्यों नहीं हुई। जांच के बाद उस एजेंसी को ब्लेकलिस्टेड कर उसके विरूद्ध पुलिस में एफ.आई.आर. क्यों नहीं की गई ?
अब फिर से नसबंदी का खेल नगरपालिका द्वारा षुरू किया गया है 15 सदस्यी टीम की निगरानी में। मात्र 99 कुत्तों की नसबन्दी में ही नगरपालिका अध्यक्ष ने अपने निरीक्षण में पाया कि नसबंदी का कार्य पारदर्षिता से नहीं हो रहा है। मतलब साफ है कि फिर से कुत्तों के नाम की रोटी पहले की तरह कोई दोबारा ही खा रहा है। जिन कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है उन पर कोई टेग या पहचान का कोई चिन्ह भी नहीं है जिससे पहचाना जाए कि इसकी नसबन्दी हो चुकी है। नसबंदी के बाद कुत्ते फिर से उन्हीं कॉलोनी मोहल्लों में छोडे जा रहे हैं जहां वे फिर से लोगों को काटकर अपना पूर्व कर्म दोहरा रहे हैं। क्या इनको जंगल में छोडा जा सकता है, इस पर भी विचार किया जाना चाहिए। इस बात पर भी गौर किया जाना चाहिए कि दूसरी जगह से कुत्ते लाकर तो यहां नहीं छोडे जा रहे हैं। जो भी हो कुत्ता काटने की दहशत से पिछले ढाई साल से जूझ रहे षहर के नागरिकों को निजात मिलना चाहिए।