नीमच। विधानसभा नीमच के भोले सहज विधायक दिलीप सिंह परिहार का तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद मानना चाहिए कि उन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार कर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को विधानसभा क्षेत्र के लापरवाही से कार्य कर रहे विभिन्न विभाग के कर्मचारी और उनपर नियंत्रण रखने वाले प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह उठाते हुए उनके स्थानातंरण का अनुरोध किया। निश्चित ही ये प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी शासन की मंशा अनुसार लोक कल्याण कारी योजनाओं और विकास की योजनाओं को धरातल पर उतारने में रुचि नहीं दिखा रहे होंगे ये कर्मचारी और उनके विभाग के अधिकारी सुशासन की धज्जिया उड़ाते बीजेपी की सरकार की छवि धूमिल कर रहे होंगे।
चौथी बार के विधायक की कार्यशैली पर भी प्रश्न चिह्न खड़े करता है कि विधायक का विभिन्न विभाग के लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों पर नियंत्रण नहीं है। ये सभी अधिकारी और कर्मचारी वर्षों से नीमच क्षेत्र में पदस्थ है और उनके स्थानांतर की गुहार मुख्य मंत्री के सम्मुख लगाना पढ़ रही है जबकि जिले की प्रभारी मंत्री को सरकार ने बहुत अधिकार दे रखे है और वे क्षेत्र में निरंतर आ रही है क्या प्रभारी मंत्री और अन्य विभाग के मंत्रीगण भी विधायक की बातो को गंभीरता से नही ले रही है जिसके कारण मुख्य मंत्री के सम्मुख अपनी पीड़ा रखी।
स्थानांतर से कुछ नहीं होगा लापरवाह कर्मचारियों को सख्ती से निपटे और नजीर बने कि कैसे उनसे काम लिया जा सकता है। तभी विधायक की राजनीतिक कार्यशैली और पारदर्शिता के साथ राज धर्म कैसे निभाया जाता है की छवि बनेगी।
नीमच विधानसभा के पूर्व के जनप्रतिनिधियों का प्रशासनिक नियंत्रण की गौरव शाली परम्परा रही है। जब नीमच सब डिवीजन था और उसके बाद जिला बना उसके प्रारंभिक काल तक प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों का समन्वय और योजनाओं को धरातल पर क्रियान्वयन करने में जो समझ के साथ सहयोग रहा था उसके परिणाम स्वरूप ही नीमच को लिक से हट कर ( पात्र नहीं होते हुए भी ) अधो सरंचनाओं की योजना ये स्वीकृत हुई और समय सीमा पर धरातल पर उतरी।
भाई दिलीप सिंह परिहार की पारदर्शिता तभी दिखेगी इस अनुरोध के साथ कि वे ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची भी प्रकाशित करे और प्रचारित भी ताकि कर्मचारी आत्म अवलोकन करें और जनता को भी उनकी निष्क्रियता और कर्तव्य के प्रति उदासीनता का पता लगे।