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July 4, 2025, 6:32 pm
KHABAR : बारिश शुरू होते ही देपरिया मार्ग किचड़ से लथपथ, किसानों को खेतों तक पहुंचने में करना पड़ रहा भारी परेशानियों का सामना, पढ़े भगत मांगरिया की खबर 

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चीताखेड़ा। सरकार योजनाएं बनाने में माहिर हैं अमल करने में फिसड्डी। अपने वोटरों एवं आमजनता को भ्रमित करने लोकलुभावनी ऐसी-ऐसी योजनाएं तैयार कर अपना चुनावी उल्लू सीधा कर फिर ऐसी योजनाओं को कोई तवज्जो नहीं दी जाती है और ऐसी योजनाएं कुछ ही दिनों में प्लाप हो जाती है। इसी तरह सरकार ने किसानों के वोट बटोरने के लिए खेत खलिहानों तक आने जाने वाले गाड़ी गड़ार मार्गों को मुख्य मार्ग से जोड़ने का शेखचिल्ली की तरह सपना दिखाया, लेकिन जमीनी हकीकत जनसमस्याएं ज्यों कि त्यों। किसानों को खेतों से बारिश के समय खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई से लेकर माल घर लेकर आना मुश्किल हो जाता है। जहां तक कि बारिश के समय आने जाने में भी भारी जद्दोजहद करनी पड़ती है। 

ऐसी ही एक हकीकत चीताखेड़ा से देपरिया मार खेतों तक पहुंचने वाले मार्ग की दयनीय स्थिति बनी हुई है। बारिश शुरू होते ही इस मार्ग में दो-दो फीट किचड़ भरा रहने से खेतों पर पहुंचना जंग जीतने के समान है।  खरीफ सीजन में फसलों को काटकर लाना एवं टू-व्हीलर वाहन भी तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। इस मार्ग से जुड़े कई खेतों के मालिक किसान भी है जिनमें गांव के प्रथम नागरिक सरपंच और उप-सरपंच और कई महान हस्तियां भी है लेकिन किसी ने कोई सुध नहीं ली। तो कई जनप्रतिनिधि भी है परंतु सभी ने समय-समय पर राजनीतिक नेताओं को अवगत और लिखित में भी दिया पर कोई सुनने वाला नहीं। आज से 10 वर्ष पूर्व भी इस मार्ग से जुड़े किसानों ने अपने स्वयं जनसहयोग से सैकड़ों ट्रेक्टर ट्राली पत्थर मुहर्रम मटेरियल डालकर वैकल्पिक व्यवस्था की थी लेकिन राजनेताओं को शर्मतक नहीं आई। धरती पुत्रों पर कोई तरस नहीं आया और ना ही किसी भी तरह कोई आर्थिक रूप से मदद तक नहीं की। 

किसानों का कहना है कि इस मार्ग से लगभग सैकड़ों किसानों के खेत जुड़े हुए हैं। सरकार ने कभी भी इस मार्ग की सुध नहीं ली है। कृषक रामनारायण परमार- का कहना है कि हर साल बारिश आते ही यह मार्ग अवरूद्ध हो जाता है। इस मार्ग से 300 से भी अधिक किसानों के खेत लगे हुए हैं। 9 साल पहले ढाई किलोमीटर इस मार्ग पर आठ किसानों ने अपने स्वयं के सहयोग से पोर्न तीन लाख रुपए खर्च कर कुएं से निकले एक हजार 350 ट्राली मटेरियल डालकर वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी। फिर भी पूरी तरह से मार्ग सही नहीं हुआ था। हमने 6 वर्ष पूर्व पंचायत में भी नरेगा योजना में जोड़कर मोहरमी करण किया जाएं। परन्तु पंचायत ने आज तक इस ओर ध्यान नहीं दिया। 

कृषक दिलीप दायमा का कहना है कि बारिश शुरू होते ही यह मार्ग किचड़ से लथपथ हो जाता है और वाहन तो दूर पैदल चलने लायक भी नहीं रहता है। शासन प्रशासन को चाहिए कि किसी भी योजना से आवागमन लायक बनाया जाएं। जिससे खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई से लेकर समय पर पकने के बाद कटाई कर फसलों को घर तक लाया जा सके।

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