कैलाश जी धानुका कुछ समय पहले बाबजी नेटवर्क के दफ्तर आये थे काफी देर तक उनसे मुलाक़ात हुयी, उन्होंने ने भी बाबजी नेटवर्क के कार्यो और काम करने के तरीको को देखा साथ ही मौजूद स्टाफ से भी बातचीत की इस दौरान लंबा समय निकल गया
तभी उनका ड्राईवर ऑफिस में आया और उसने कहा घर से सुनील भैया (सुनील जी धानुका) का फोन आ रहा है आप बात कर लीजिये, क्योकि की कैलाश जी धानुका अपना फोन कार में ही छोड़कर आये थे
इस पूरे घटनाक्रम का हवाला मैंने किसी ख़ास वजह से दिया यही वो घटनाक्रम था जिससे मुझे पता चला की उनका अपने पिताजी स्व सोहनलाल जी धानुका से कैसा रिश्ता था
दरअसल यह फोन इसीलिए आया था की पिताजी को मंदिर ले जाने का समय हो गया आप जल्दी घर आ जाइये ये बहुत महत्वपूर्ण बात है की धानुका जी के घर में चार पहिया वाहनों की कोई कमी नहीं है वे उनके पिताजी को किसी के भी साथ मंदिर भेज सकते है लेकिन ये उस रिश्ते की सबसे ख़ास बात है की वे अपने पिताजी को खुद मंदिर ले जाया करते थे
इसी से निकली बातचीत में पता चला की धानुका जी अपने पिताजी के साथ हर रोज़ मॉर्निंग वॉक भी करते रहे और जमकर भजन कीर्तन भी साथ साथ करते थे यहा तक की रोजाना कैलाश धानुका जी के साथ ही वे सोया प्लांट जाया करते थे जबरदस्त बाउंडिंग थी कैलाश जी की और उनके पिताजी की
अरस्तु ने बेहद ख़ास बात कही हर इंसान के अंदर एक और इंसान होता है आमतौर पर ज़माना बाहरी इंसान से मिलता रहता है वो अंदर के असल इंसान से कभी नहीं मिल पाता, लेकिन उस दिन मैने कैलाश धानुका जी के अंदर के इंसान को जाना की वे इतने बड़े इंड्रस्टियलिस्ट होने के बावजूद अपने उम्रदराज़ पिता की जमकर सेवा करते है और उनके साथ अपना अधिकाँश समय बिताते है
आज वो पिता सोहनलाल जी धानुका स्वर्गवासी हो गए निश्चित ही उनका अवसान समूचे धानुका परिवार के बीच एक खालीपन दे गया क्योकि पूरा परिवार स्व सोहनलाल जी की ही धुरी पर घूमता था, बाबजी नेटवर्क के पूरे परिवार की और से स्व सोहनलाल जी धानुका को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि, परमपिता परमेश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे, ओम शान्ति !