नीमच। समाज में गलत को गलत कहने की कीमत चुकानी पड़ती है। मगर ऐसे ही लोग समाज में परिवर्तन लाते हैं। इनमें से एक थे डॉ.भीमराव अम्बेडकर। मनुवादी सोच के व्यक्तियों ने कहा कि जो कुछ हैवह किताबों में लिखा है, कुछ नया करने खोजने की आवष्यकता नहीं। ऐसे लोग समाज में जडता लाते हैं। उक्त विचार प्रकट करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव व प्रदेष अध्यक्ष कामरेड बादल सरोज ने व्यक्त किए।
कामरेड बादल ने बताया कि गौतम बुद्ध ने कहा था कि सवाल उठाओ जवाब मिलेगा, सृष्टि में जो कुछ है परिवर्तनषील है, बदलाव आना निष्चित है। कामरेड बादल ने कहा कि दुनिया में लाखों किताबें लिखी गईं, परन्तु हमारा संविधान केवल एक किताब नहीं है यह पहली किताब है जो देष के नागरिकों को बराबरी का अधिकार देती है। यह वो किताब है जिसने जाति, वर्ण, लिंग, धर्म, षिक्षा के आधार पर भेदभाव न करके सबको वोट देने का अधिकार दिया, जिसने स्त्रियों को समानता का अधिकार दिया। आज देष में इन अधिकारों को सीमित करने का समाज को देष को बांटने की संवैधानिक अधिकारों को बदलने की कुचेष्टा की जा रही है। देष की जनता में फुट डालने व नफरत फैलाने का कार्य किया जा रहा है। हमें इस गलत होते हुए के विरोध में आवाज उठानी पडेगी। संविधान में प्रदत्त अधिकारों व संविधान की रक्षा करनी पडेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता आंगनवाडी कार्यकर्ता अध्यक्ष वीणा पथरोड ने की। इस अवसर पर जनवादी महिला समिति की राज्य सचिव भी मंचासीन थीं। कार्यक्रम का संचालन सीटू के प्रदेष कार्यकारी अध्यक्ष कामरेड षैलेन्द्रसिंह ठाकुर ने किया। आभार किषोर जेवरिया ने किया।
इस अवसर पर प्रो.निरंजन गुप्त राही, प्रो. इकबाल हुसैन बोहरा, विजय बैरागी, सुनील षर्मा, लीला किलोरिया, मुकेष नागदा, बालूसिंह, मुनव्वर खान, सुषमा गुप्ता, हर्षित गोसर, लोकेष यादव, नरेष जायसवाल, राजेष अहीर आदि कई श्रोता उपस्थित थे।