नीमच। सन 1956 से ही बंगले बगीचो के बारे में जो की नगरपालिका नीमच के अधिकार में मानी गई थी यह ज़मीन (बंगले बगीचे) नीमच के केंटोमेंट बोर्ड को और उसकी सारी संपत्ति को नीमच नगरपालिका में विलय कर देने के बाद मिला था। उदाहरणस्वरूप जैसे नीमच सुधारन्यास को नब्बे के दशक में भंग कर नगर पालिका में विलय किया गया है। प्रदेश सरकार का नीमच नगर पालिका की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं हैं, नगरपालिका ख़ुद सक्षम हैं अपनी संपत्ति को व्यस्थापन करने के लिये। केवल उसे नियमानुसार कार्य करना पड़ेगा। दुर्भाग्य से नगरपालिका स्वयं ने इस समस्या को हल करने के लिये सरकार के पास चली गई और यह समस्या विकराल होती गई।
बंगला बगीचा का इतिहास और समस्या के निदान के लिये क्या हुआ विगत तीन दशकों में..
वर्तमान में लगभग आठ साल से ट्रिपल इंजिन (केंद्र, राज्य और स्थानीय नगर पालिका में) की सरकार हैं। पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर दिये ? मनन कीजिये क्या परिणाम मिले नीमच को बंगला बगीचा के तथाकथित समाधान से ? जिसका श्रेय जनप्रतिनिधियों ने जश्न बना कर और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह का अभिनंदन कर के मनाया था।
कृपया निम्न बिन्दुओं पर क्या कहेंगे..
1- नगर पालिका में जो प्रशासक बैठे थे वे भाजपा की सरकार द्वारा ही बैठाये गये थे और नियंत्रित थे.. क्या इस बात से वे इंकार कर सकते है..?
2- बंगला बगीचा की समस्या का इतिहास बताता हैं कि आज से लगभग 45 वर्ष पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय विरेंद्र कुमार सकलेचा के कारण पैदा हुई।
3- बंगला बगीचे केंटोनमेंट बोर्ड के अंतर्गत आते थे, नगर पालिका बनने से पहले। नगरपालिका आज़ादी के कई वर्षों बाद बनी
4- मध्यप्रदेश में कई और जगह भी केंटेनमेंट बोर्ड थे और उनके आधिपत्य की जमीनों का विवाद सुलझे कई वर्ष बीत गये। लेकिन नीमच की बंगला बगीचा समस्या का समाधान नही होना लम्बे समय से सरकार में बैठे जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता हैं और उनकी दृढ़ शक्ति के अभाव के साथ ऐसे गठबंधन को संरक्षण दे कर उनके स्वार्थों की पूर्ति करना हैं
5- बंगला बगीचा समस्या तब और गहराई जब नीमच सुधार न्याय को भ्रष्टाचार और अवैध जमिनो के आवंटन के कारण भंग कर नगर पालिका में विलय कर दिया तत्कालीन नीमच सुधारन्यास में जिस तरह से उसका दुरुपयोग किया गया था प्रमुख कारण बना था भंग होने का
6- जानकारी के लिये सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में नीमच शहर एक मात्र सब डिविज़न था जहाँ सरकार की ऐजेंसियो ने जितनी रहवासी कालोनियों विकसित की मध्यप्रदेश के किसी और सबडिविज़न में नही की गईं उस समय मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकारें थी
वर्ष 1990 के पूर्व नीमच केंद्र और राज्य सरकार की तीन तीन ऐजेंसियो द्वारा कालोनियाँ विकसित एक साथ की थी
नीमच सुधार न्यास, मध्यप्रदेश गृहनिर्माण मंडल और हुड़कों
याद कीजिये उस समय नीमच की कुल आबादी कितनी थी ?
7- नीमच की बंगला बगीचा समस्या को उलझाई भाजपा समर्थित कुछ चंद समर्थकों ने जिनके निजी स्वार्थ बंगले बगीचों से कई दशकों से जुड़े हुए हैं..?
8- आपको जानकारी होगी वर्ष 1990 के पूर्व जब भेरूलाल कोठारी नीमच सुधार न्यास के अध्यक्ष थे उस समय सार्वजनिक विज्ञप्तियाँ दे दे क़र भूखंड आवंटित बहुत ही न्यूनतम मूल्यों पर दिये गये थे
9- नीमच में जमीनों के आसमान छूते भाव विगत दो दशकों में हुए
विगत दो दशको में नीमच में वैध और अवैध कालोनियों जिन लोग़ो ने बनाई 90 प्रतिशत विशेष राजनीतिक विचारधारा से जुड़े लोग हैं जब नीमच सुधारन्यास था उस समय केवल दो या तीन ही कालोनियाँ विकसित हुई थी
10- क्या यह आश्चर्यजनक नही हैं कि वर्ष 1990 के चुनाव के बाद नीमच में निवास बना कर रहने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री होने के बावजूद बंगला बगीचा समस्या समाधान नही कर पाये थे जबकि 1990 के चुनाव के समय उनके निकटम व्यक्ति उस समय इस समस्या के लिये भूख हड़ताल पर बैठे थे और स्वर्गीय खुमानसिंह शिवाजी ने आश्वासन देकर की सरकार बनते ही इस समस्या का समाधान सबसे पहले करेंगे विधायक शिवाजी बने सरकार भी पटवाजी के नेतृत्व में भाजपा की बनी और समाधान के नाम पर कुछ भी नही हुआ..?
विगत बत्तीस वर्षों में बाईस वर्ष भाजपा के नेतृत्व की सरकार रही और चार मुख्यमंत्री बने सभी ने नीमच में बंगला बगीचा की समस्या को समय सीमा में समाधान करने की बातें सार्वजनिक मंचो से नीमच में विगत विगत बत्तीस वर्षों में की थी। परिणाम सबके सामने हैं। आँकलन कीजिये की किस राजनीतिक दल ने नीमच के लोग़ो को धोका दिया .!
नीमच के विधायक और बीजेपी के नेताओ की बंगले बगीचे के बारे में रक्षात्मक दलीलें सुनी और पढ़ी यह उनकी मजबूरी हैं कि वे जिस विचारधारा की राजनीतिक दल से जुड़े हैं उसका बचाव करना और उन्होंने सारा ठीकरा भोपाल के विभिन्न विभागों के अधिकारियों पर फोड़ दिया। उन्होंने प्रत्यक्ष स्वीकार किया की भाजपा के शासन काल में प्रशासनिक अधिकारीयो का दबदबा हैं और निर्णय वे लेते है एवं स्थानीय चुने हुए जनप्रतिनिधियों का कोई भी महत्व नही हैं चाहे वह नगरपालिका अध्यक्ष था या विधायक !
राकेश जैन के नेतृत्व वाली प्रजातांत्रिक तरीक़े से चुनी हुई नगर पालिका के प्रस्ताव की जिस तरह से भोपाल में अवेहलना की और मनमाने तरीक़े से बंगला बगीचा समस्या के समाधान के नियम बनाये और जनता को प्रताड़ित किया वह क्या दर्शाता हैं .?
प्रश्न हैं कि ट्रिपल इंजिन की सरकार के चंद प्रशासनिक अधिकारियों के दबाव में आ कर बंगला बगीचा के समाधान के तथाकथित निर्णय लिये गये और क्षेत्र के ज़िम्मेदार विधायक एवं सांसद के साथ भाई राकेश जैन की नेतृत्व वाली नगरपालिका मौन रहकर सब ने स्वीकार कर जश्न मनाया! क्या कारण था कि जनप्रतिनिधियों ने
आँख मूँद कर स्वीकार कर लिया तथाकथित बंगले बगीचे के समाधान को ..?
पुनः याद दिलाना चाहूँगा कि जब जब संतोष चोपड़ा भाई, जिनेंद्र भाई नीमच नगर पालिका में पार्षद थे और मैं उस समय विधायक था नगरपालिका ने बंगला बगीचा की समस्या को देखते एक समिति बनाई थी जिसने इसके हल के लिये अनुसंशा की थी। उस समिति के व्यावहारिक सुझावों एवं प्रस्तावों का समर्थन राजनीति से ऊपर उठ कर सभी जनप्रतिनिधियों ने किया था और क्रियान्वयन की बात की थी। लेकिन नगर पालिका का कार्यकाल समाप्त होने और विधानसभा के चुनाव सर पर आ गये थे समिति की अनुसंशा ज़मीन पर नहीं उतर पाई चुनाव बाद स्वर्गीय सुंदरलालजी पटवा की सरकार बनी उसमें क्षेत्र के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय शिवाजी विधायक थे लेकिन उन दोनो ने नगरपालिका की बंगला बगीचा की कमेटी के प्रस्ताव पर कोई ठोस कार्यवाई नही की और यह समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती गई और आज उसने विकराल रूप ले लिया हैं।