नीमच। प्रश्न दायित्व और कर्तव्यनिर्वहन का हैं जहाँ निजी स्वार्थ आ जाते हैं वहाँ योजनाओ की स्वीकृति के बाद भी कार्य नहीं होते हैं। ज़िम्मेदार लोग योजनाओं के बारे कई प्रकार से भ्रमित कर अपना बचाव करते हैं। यह बात नीमच के पूर्व विधायक संपत स्वरूप जाजू ने बयान जारी करते हुए कही है।
उन्होंने कहा कि नर्सिंग कॉलेज का ही मामला नहीं हैं कई योजनाये स्वीकृत हो कर लंबित पड़ी हैं। उदाहरण के लिये नीमच ज़िला चिकित्सालय में ब्लडसेप्रेशन यूनिट, बघाना का रेलवे ओवर ब्रिज, नीमच का मास्टर प्लान, सीएम राईज़ स्कूल की तीन वर्षों पूर्व स्वीकृति के बाद भी भवन नहीं बनना, ज़िला स्तर पर खुलने वाला पासपोर्ट कार्यालय, नीमच में घर-घर तक गैस पाइप लाइन के माध्यम से पहुंचाना, रेलवे स्टेशन पर चलित सीढ़ियाँ और लिफ्ट स्वीकृति के बाद भी अभी तक नहीं लगना, नीमच रेलवे स्टेशन के जंक्शन का सन् 2019 मी शिलान्यास होने के बाद भी अभी तो नीमच बड़ी सादडी रेल लाइन के लिये भूमि अधिग्रहण की जा रही हैं। बाँसवाड़ा-कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग इत्यादि। जैसी जानकारी मिल रही हैं मंदसौर को प्राथमिकता नहीं मिली हैं। मंदसौर ने ज़मीन चिन्हित कर सभी नॉर्म्स पूरे कर प्रस्ताव ऊपर भेज दिये थे।