मनासा। भगवान से हमें मानव शरीर का मिलना ही दुर्लभ हे और जीवन में भाग्य से सत्संग मिल जाए तो संत के क्षण का, पसीने के धन का, अन्न के कण का जो सद उपयोग कर लेता हे, उसका लोक भी सुधर जाता हे, परलोक भी सुधर जाता हे लेता है।
उपरोक आशय के प्रेरणाप्रद उदगार अंतराष्ट्रीय राम स्नेही संप्रदाय के युवा संत जो देश विदेश में अपनी वाणी से मानव जीवन को धन्य के देती हे रमता राम जी महाराज के कृपापात्र शिष्य दिग्विजयराम ने मंदिरों की नगरी मनासा में श्री रामद्वारा मनासा में शनिवार की रात्रि बेला में आयोजित एक दिवसीय प्रवचन में दिए। भक्तों से खचाखच भरे पंडाल में दिग्विजय रामजी ने बताया की हमारे इस तन ओर मन का उपयोग हम परमात्मा के सत्संग में लगाए तो जीवन को सार्थक कर देगा। जीवन में सीरियल से जितना आनंद नही मिलता उससे ज्यादा रियल का आनंद ज्यादा आएगा सत्संग रियल हे। जीवन में अगर हमने राम भजन कर लिया तो ये जीवन सार्थक हो जाएगा। शरीर भोजन से चलता है और आत्मा सत्संग से चलती हे जिस तरह शरीर के लिए भोजन आवश्यकभी उसी तरह आत्मा के लिए सत्संग का होना जरूरी है।
संत श्री ने कहा की संसार में किसी को खुश रखना हे तो परमात्मा को खुश रखो या स्वय को खुश रखो ,आप से दुनिया वाले कभी खुश नहीं रह सकते हे क्यों की वे भगवान से खुश नहीं रह सकते तो आप क्या हो। इस दुनिया में लोगों को दूसरों में कमी निकलने की आदत बड़ी समस्या है।
नीति कहती हे जिसने अपने जीवन मे कभी धर्म नहीं किया, कभी दान नहीं किया, कभी सेवा कार्य नहीं किया कभी ईश्वर का भजन नहीं किया हो वह आदमी आदमी नहीं वह पशु के समान है।
संत श्री बने बताया की सत्संग के माध्यम से ही हमें जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है।
आप ने बताया की भगवान का भजन तर्क के धरातल भी खरा उतरता हे आज की पीढ़ी का युवा पूछता हे की सत्संग से हमे क्या लाभ मिलने वाला हे ?आज के समय में लाभ नहीं बताओ वह नहीं मानता हे। विज्ञान भी सत्संग के लाभ को मानने लगा हे इसके लिए आदमी को चार वर्गों में बाटा गया पहले में 16वर्ष तक के बच्चे,दूसरे में 16वर्ष से 25 वर्ष तीसरे में 30से60 चौथे में 60से ऊपर वरिष्ठ नागरिक लिए गए। इन चारों वर्गों को 15 -15 दिन तक भगवान का नाम लेने को कहा गया। 15दिन के बाद यह पाया गया कि बच्चों में 20प्रतिशत तक याद याददाश्त बढ़ी हे,दूसरे वर्ग में 20 प्रतिशत आत्म विश्वास बढ़ा,तीसरे वर्ग में 20 प्रतिशत तक सहनशक्ति बढ़ी व चौथे में जिनमें वरिष्ठ नागरिक थे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी है। यह हे भगवान का नाम लेने की महिमा का असर।
बच्चो में भगवान का नाम लेने की बात कहे निश्चित रूप से इसका असर होगा।
युवा संत दिग्वजय रामजी के प्रवचनों को श्रवण करने हेतु रामद्वारा परिसर पूरा भरा पड़ा था।संत श्री के भगवान जगन्नाथ व मीरा बाई के मधुर भजनों के रस का उपस्थित भक्तों ने भरपूर आनंद लिया। साथ ही 6 जुलाई से चितौड़गढ़ रामद्वारा में चातुर्मास में आने का आमंत्रण भी दिया।
विद्वान संत रमता राम महाराज व युवा संत दिग्विजय राम का नारायण सेवा परिवार ने आत्मीय स्वागत किया व राम स्नेही सम्प्रदाय मनासा परिवार ने शाल श्रीफल के साथ भेट देकर स्वागत किया।