चित्तौड़गढ़। आचार्य भिक्षु के 300 वें जन्मदिवस पर तेरापंथ सभा भवन में आयोजित कार्यक्रम में उपासक कमल जैन नें कहा कि तेरापंथ के आध्य प्रवर्तक आचार्य भिक्षु एक सत्य अन्वेषी एवं सिद्धान्त निष्ठा आचार्य थे अपने जीवन काल में जितने व्यक्तियों को उन्होंने प्रेरित और प्रभावित किया उससे कहीं अधिक आज कर रहे हैं। उनका वज्र संकल्पी ऋषि वाक्य “मर पूरा देस्यां आत्मा ना कारज सारस्यॉं” आज भी प्रेरणा वाक्य बना हुआ है। आचार्य भिक्षु एक उत्कृष्ट कोटि के संत थे जिसके मूल में थी उनकी आचार और विचार की पूर्ण जागरूकता उन्होंने कहा कि एक तरफ़ आचार होता है और एक तरफ़ विचार / सिद्धांत होते है आचार में तरतमता हो सकती है विचार में तरतमता नहीं हो सकती। उन्होंने आचार से ज़्यादा विचार को महत्व दिया उन्होंने उस समय धर्म में चल रही मिलावट का दृढता से विरोध कर धर्मक्रान्ति की। उन्होंने कहा शुद्ध साध्य के लिये शुद्ध साधन ज़रूरी है, जीवन से मुक्ति हमारा साध्य है तो संयम ही साधन होगा। उन्होंने आगे कहा कि आचार्य भिक्षु नें भगवान महावीर के विचारों को सही रूप में प्रस्तुत किया उनका दर्शन इतना वैज्ञानिक है जिसनें उनको महान दार्शनिकों कि पंक्ति में प्रतिष्ठित कर दिया ।
कार्यक्रम सामूहिक नमस्कार महामंत्र से प्रारंभ हुआ । भिक्षु म्हारे प्रगट्याजी भरत खेतर में के संगान एवं ओम् भिक्षु ओम् भिक्षु ओम् भिक्षु ओम् जय भिक्षु जय भिक्षु जय भिक्षु जय के जप द्वारा भिक्षु स्वामी की अभिवन्दना की गयी। तेरापंथ सभा के मंत्री ललित सुराणा नें सभी का स्वागत किया। तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती मंजू श्रीश्रीमाल संरक्षिका श्रीमती उमा सुराणा नें भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ सभा के राकेश बाबेल ज्ञानचन्द कावडिया छीतरमल सिंघवी महेंद्र श्री श्रीमाल तेरापंथ युवक परिषद के पूर्व अध्यक्ष अरविन्द बीकानेरीया पारस गोलेछा लोकेश सिंघवी आशीष डॉंगी तेरापंथ महिला मण्डल की पूर्व अध्यक्षा ज्योति सुराणा प्रिति बाबेल रतन देवी सिंघवी आदि नें मधुर स्वर लहरियों में गीतों का संगान किया । अंत में सभा के अरूण खाब्या ने सभी का आभार व्यक्त किया ।