नीमच। मोहर्रम माह की 12 तारीख को नीमच की छोटी कर्बला शरीफ में आस्था और मन्नतों का एक भव्य मेला लगा, जिसने शहर को भक्ति और परंपरा के रंग में रंग दिया। यह दिन मोहर्रम के विशेष महत्व वाले कर्बला के दिन के रूप में मनाया जाता है और इस बार भी हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। हर साल की तरह इस बार भी मोहर्रम के तीजे के बाद कर्बला में यह मेला भरा, जिसमें विशेष रूप से महिलाओं की भीड़ बड़ी संख्या देखने को मिली। यहां की सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार, महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना के साथ खूंट भरकर मन्नत मांगती हैं। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गई मन्नतें यहां पूरी होती हैं, और कामना पूरी होने पर श्रद्धालु अगले साल खूंट भरने के लिए लौटते हैं। मेले का एक प्रमुख आकर्षण रज़िया अहमद द्वारा कर्बला के रणक्षेत्र मकतल पर बनाई गई कलाकृति रही। यह कलाकृति मकतल की कहानी को हूबहू जीवंत कर रही थी, जिसे देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उत्सुकता से उमड़ पड़े।
मेले में बच्चों के खिलौनों से लेकर स्वादिष्ट खानपान और घरेलू उपयोग की वस्तुओं तक, विभिन्न प्रकार की स्टॉलें सजी थीं, जो मेले के माहौल में चार चांद लगा रही थीं। सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से भी प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। भारी संख्या में पुलिस बल और सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। कर्बला कमेटी ने भी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कीं, जिससे यह आयोजन शांतिपूर्ण और सफल रहा। यह मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि नीमच की सांस्कृतिक विरासत और सामुदायिक सद्भाव का एक अनूठा प्रतीक बन गया, जहां आस्था और विश्वास का अटूट बंधन हर साल और मजबूत होता है।