चित्तौड़गढ़। अरिहंत भवन में चार्तुमास के समापन के अवसर पर आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए साुधमार्गी संघ की शासन दीपिका अक्षित श्रीजी म सा ने कहा कि चार्तुमास के दौरान जो ज्ञानार्जन किया उसकी पुनरावृति करते रहे और आचरण में उतारे तभी चार्तुमास की सफलता है।
पांच माह के इस चार्तुमास में महासती अक्षित श्रीजी म सा महासती भवपार श्रीजी म सा महासती सौम्य सुगंधा म सा एवं महासती चिदानंद श्रीजी म सा ने बराबर धर्म आराधना की प्रेरणा दी जिसके फलस्वरूप प्रारंभ से ही एकासन-आयंबिल-उपवास आदि तपस्याओं की लड़ी बराबर चलती रही। चाुर्तमास के दौरान चार मास खमण सहित पन्द्रह-ग्यारह, नौ, आठ, पांच व तेले तप की तपस्याएं निरंतर चलती रही। प्रवचन में जिस प्रसंग पर चर्चा चलती उस पर विस्तार पूर्वक बताते हुए श्रोताओं से प्रत्याख्यान भी आप करवाते रहे। प्रतिदिन दिन में वचानीय के दौरान भी ज्ञानार्जन कराया। बाहर से श्रद्धालु भी बराबर भाग लेकर लाभ अर्जित करते रहे।
चार्तुमास के समापन पर आयोजित इस धर्मसभा में रघुवीर जैन, नरेन्द्र खेरादिया, शांतिलाल जारोली, अशोक कुमार नाहर, गौतम पोखरना, रोशनलाल लोढ़ा, रमेश नागौरी, सुरेश गांधी, हंसराज अब्बानी, चांदमल बोकड़िया, नारायणलाल श्रीश्रीमाल, निरंजन नागौरी, निर्मला कोठारी, आर्ची पोखरना, रक्षा जारोली, अंजना मारू, मीना धींग, मंजू अब्बानी, वनीता पोखरना ने अपने भाव प्रकट करके चार्तुमास की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। समता बहुमंडल ने गीतिका प्रस्तुत की।
संचालन करते हुए मंत्री विमल कुमार कोठारी ने साधुमार्गी संघ के आचार्य रामलाल म सा का आभार व्यक्त करते हुए सहयोगकर्ताओं को धन्यवाद दिया। अध्यक्ष हिम्मतसिंह ऐलावत ने आभार जताया।