मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीसीसी चीफ कमलनाथ के इंदौर में दिए बयान पर पलटवार किया है। सीएम ने कहा- उन पर उम्र हावी हो रही है। वे सोने की चम्मच मुंह में लेकर पैदा हुए हैं। कॉर्पोरेट राजनीति करते हैं। बता दें कि कमलनाथ ने मंगलवार को कहा था- मैं न कोई किसान का बेटा हूं, न ही चायवाला, न राजा-महाराजा और न ही कोई कलाकार हूं, इसलिए मैं राजनीति के दांव-पेंच नहीं जानता।
पूर्व CM के इस बयान पर शिवराज ने बुधवार को भोपाल के स्मार्ट पार्क में पौधारोपण के बाद कहा- पता नहीं कमलनाथ क्या-क्या बोलते हैं। मैं किसान नहीं हूं... मैं मामा नहीं हूं...। मामा तो तुम हो ही नहीं सकते। मामा वो होता है, जिसके दिल में बहन-बेटियों के लिए इज्जत होती है। हर कोई मामा थोड़ी हो सकता है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा- तुम किसान हो ही नहीं सकते, क्योंकि कर्जमाफी का वादा करके मुकर गए। माटी की सौंधी सुगंध आप जानते नहीं हो। चायवाला तो कोई गरीब ही हो सकता है। सोने की चम्मच मुंह में लेकर कॉर्पोरेट राजनीति करने वाले और मौका मिलते ही प्रदेश को लूटने वाले कैसे चायवाले हो सकते हैं।
कमलनाथ के विधायकों की कोई कीमत नहीं होती वाले बयान पर CM शिवराज ने कहा- मुझे कमलनाथ पर तरस आता है। उन पर उम्र हावी हो रही है। वे कहते हैं कि मुझे विधायकों की जरूरत नहीं। कांग्रेस ये जानती है कि विधायक ही मुख्यमंत्री चुनते हैं। शायद पहले भी वे ऐसा कहते होंगे इसी वजह से लोग निकल आए। अब अभी से कह रहे हैं कि मुझे जरूरत नहीं हैं। खुद को कहलवाते हैं भावी.. अवश्यंभावी CM और कहते हैं कि विधायकों की जरूरत ही नहीं है। ये उनका अहंकार बोल रहा है।
CM शिवराज ने कहा- कांग्रेस झूठ पत्र बनाने के लिए लगातार बैठक कर रही है। कमलनाथ जी आते-जाते कम हैं, लेकिन कमरे में बैठकें खूब करते हैं। आगे मुख्यमंत्री ने कहा- कांग्रेस की रीति सदा चली आई, वचन जाए पर दंभ न जाई। पिछले वचन पूरे किए नहीं। कमलनाथ और कांग्रेस नए वचनों पर उतारु है। पिछड़ा वर्ग के छात्रों को शिक्षा के लिए आय सीमा 10 लाख तक बढ़ाई जाएगी। ये वचन पूरा क्यों नहीं किया?
CM ने लाडली बहना पर जानकारी देते हुए कहा कि अब तक 54 लाख 17 हजार 429 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। पेसा नियम पर बोले- 268 ग्राम सभाओं ने पेसा नियम के तहत खुद तेंदूपत्ता तोड़ने, सुखाने और बेचने का फैसला किया है। आत्मनिर्भर मप्र में बहनों के परिश्रम से 45 प्रतिशत स्टार्टअप बेटियां चला रही हैं। फूड एग्रीकल्चर, हेल्थ इन्फ्रा सहित सभी क्षेत्रों में बेटियों की सहभागिता बढ़ रही है।