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April 24, 2024, 10:19 am
BIG REPORT : महाकाल के गर्भगृह में 11 कलशों की गलंतिका बांधी, हर कलश पर नदी का नाम, वैशाख से ज्येष्ठ तक सतत जलधारा प्रवाहित की जाएगी, पढे़ खबर 

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उज्जैन। महाकाल मंदिर के गर्भगृह में मंगलवार को वैशाख कृष्ण प्रतिपदा पर 11 मिट्टी के ‎कलशों की गलंतिका बांधी गई। कलशों पर नदियों के नाम गंगा, ‎सिंधु, सरस्वती, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, ‎कावेरी, सरयु, शिप्रा, गंडकी अंकित किए गए हैं।


वैशाख और ज्येष्ठ माह में‎ गर्मी चरम पर होती है। ऐसे में गलंतिका के माध्यम से 22 जून (ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा) तक श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर ‎सतत शीतल जलधारा प्रवाहित की‎ जाएगी। दो महीने (24 अप्रैल से 22 जून तक) प्रतिदिन भस्‍म आरती के बाद सुबह 6 बजे से‎ संध्या कालीन पूजन (शाम 5 बजे) तक गलंतिका बंधी रहेगी।


मान्यतार : शीतलता के लिए बांधी जाती है गलंतिका
पं. महेश‎ पुजारी के अनुसार, समुद्र‎ मंथन के समय भगवान शिव ने गरल ‎(विष) पान किया था। गरल अग्नि शमन ‎करने के लिए ही आदिदेव सदाशिव‎ का जलाभिषेक किया जाता है। गर्मी‎ के दिनों में विष की उष्णता (गर्मी) ‎और भी बढ़ जाती है, इसलिए वैशाख‎ और ज्येष्ठ मास में भगवान को ‎शीतलता प्रदान करने के लिए मिट्टी ‎के कलश से ठंडे पानी की जलधारा‎ प्रवाहित की जाती है। इसको ‎गलंतिका कहते हैं।‎


भगवान महाकाल का जल से अभिषेक कर दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, फलों के रस से बने पंचामृत से अभिषेक - पूजन किया गया। रजत के आभूषणों, भांग, चंदन, सूखे मेवे से गणेश रूपी दिव्य श्रृंगार किया गया। मस्तक पर त्रिपुंड, शेषनाग का रजत मुकुट धारण कर रजत की मुंडमाल और रुद्राक्ष की माला अर्पित की गई। सुगंधित पुष्प से बनी माला धारण की। नवीन वस्त्र अर्पित कर फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया। भस्म आरती में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया।

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