भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस हाईकमान ने इंदौर शहर अध्यक्ष सुरजीत चड्ढा और ग्रामीण अध्यक्ष सदाशिव यादव को अनिश्चिकाल के लिए सस्पेंड कर दिया। ऐसा पहली बार हुआ है जब दोनों पार्टी अध्यक्षों को एक साथ एक ही मामले में सस्पेंड किया गया। मामला 12 जुलाई को इंदौर के गांधी भवन कार्यालय में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय समेत भाजपा नेताओं के स्वागत से जुड़ा है। सोमवार को कांग्रेस हाईकमान ने यह भी साफ कर दिया है कि दोनों निलंबित अध्यक्षों से सात दिन में जवाब मांगा गया था जो नहीं मिला है। संतोषपद्र जवाब आने तक दोनों सस्पेंड ही रहेंगे।
बता दें कि 7 से 14 जुलाई तक मंत्री विजयवर्गीय ने इंदौर शहर में 51 लाख पौधे रोपने की अपील की थी। इसमें सहयोग मांगने के लिए विजयवर्गीय 12 जुलाई को कांग्रेस के गांधी भवन कार्यालय गए थे। यहां शहराध्यक्ष सुरजीत चड्ढा और ग्रामीण अध्यक्ष सदाशिव यादव के नेतृत्व में विजयवर्गीय का पार्टी लाइन से बाहर जाकर स्वागत कर दिया गया था। न केवल हार-फूल दिए बल्कि समोसे और गुलाब जामुन का नाश्ता भी कराया।
पार्टी गाइड लाइन के अनुसार, कार्यालय में सिर्फ सूत की माला से ही स्वागत करने की परंपरा है। साथ में ही गांधीजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी कराया जाना था लेकिन कांग्रेस नेताओं ने इसकी अनदेखी कर दी थी। पार्टी के दूसरे खेमे ने इस स्वागत-सत्कार पर मोर्चा खोलकर हाई कमान को शिकायत कर दी और सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर पोस्ट भी की। मामला दिल्ली तक पहुंचा तो प्रदेश हाईकमान हरकत में आया।
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेशाध्यक्ष अध्यक्ष मुकेश नायक ने बताया 20 जुलाई को दोनों अध्यक्षों को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि सात दिन में जवाब देने तक निलंबित मानें। 28 जुलाई तक भी जवाब पेश नहीं करने पर पार्टी ने निलंबन को अनिश्चितकाल तक के लिए बढ़ा दिया है। संतोषप्रद जवाब मिलने तक दोनों नेता खुद को निलंबित मानें।निलंबन के बाद शहर कांग्रेस अध्यक्ष रहे चड्ढा अचानक दिल्ली पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा है कि आज (29 जुलाई) दिल्ली में हूं। रात को लौटकर इस मुद्दे पर अपनी बात रखूंगा। ग्रामीण अध्यक्ष सदाशिव यादव ने कुछ भी कहने से मना कर दिया है।
बता दें कि पार्टी नेताओं ने पहले कहा था कि प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी के निर्देशानुसार ही विजयवर्गीय का कार्यालय में स्वागत किया गया था। हालांकि, पटवारी ने इस पर अपनी सफाई दे दी थी और घटनाक्रम पर खेद जताया था।
बता दें कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 में अक्षय बम को प्रत्याशी बनाया था। मंत्री विजयवर्गीय की मौजूदगी में 29 अप्रैल को कलेक्टोरेट जाकर ऐनमौके पर बम ने फॉर्म उठा लिया। नामांकन संपन्न हो जाने के बाद यह फाॅर्म अचानक उठाया था। चूंकि बम के फेर पार्टी ने किसी दूसरे उम्मीदवार का नामांकन नहीं किया था, ऐसे में पार्टी लोकसभा चुनाव की दौड़ से ही बाहर हो गई थी।
उसके बाद से मंत्री विजयवर्गीय पर कांग्रेस ने लोकतंत्र की हत्या करने और इंदौर के नागरिकों का मत का अधिकार छीनने का आरोप लगाया था। घटनाक्रम के डेढ़ महीने बाद ही मंत्री विजयवर्गीय का 12 जुलाई को कांग्रेस के गांधी भवन में अध्यक्षों ने स्वागत कर दिया। परंपरा से हटकर स्वागत-सत्कार करने से भी पार्टी नाराज हो गई।
शिकायत मिलने के बाद हाई कमान ने इसे शहर अध्यक्ष सुरजीत चड्ढा और ग्रामीण अध्यक्ष सदाशिव यादव की अनुशासनहीनता माना। दोनों अध्यक्षों को 20 जुलाई को नोटिस जारी करते हुए सस्पेंड कर दिया। पार्टी हाइकमान ने कहा था कि 'पार्टी में सूत की माला देकर ही स्वागत की परंपरा है, जिसे तोड़ा गया है। साथ ही ऐसे शख्स का गांधी भवन में स्वागत किया, जिसने लोकतंत्र की हत्या की।