नई दिल्ली। भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति राजस्थान-मध्य प्रदेश ने मांग की है कि 1997-98 में अफीम खेती कर चुके सभी किसानों को अफीम खेती करने का अवसर दिया जाए। सीपीएस की आड़ में खेत में खड़ी है उस अफीम फसल को लुवाई चिराई का आदेश देकर सीपीएस पद्धति बंद करने अंतरराष्ट्रीय मूल्य को मानक मानकर अफीम मूल्य किसान को दिया जाए। साथ ही बारां जिले के छबड़ा छीपाबड़ौद के सैकड़ों किसानों की खड़ी अफीम फसल को पट्टे बहाली के 45 दिन बाद जबरन नष्ट कर दी, उस अफीम फसल का का मुआवजा देकर दोषी नारकोटिक्स के अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। उक्त मानगो को लेकर किसानों ने प्रदर्शन कर ज्ञापन भारत सरकार को भेजा।
संरक्षक मांगीलाल मेघवाल बिलोट ने बताया कि समयोचित समुचित समस्या का समाधान नहीं हुआ तो किसानों को उग्र आंदोलन करने को मजबूर होना पड़ेगा और सारी जिम्मेदारी नारकोटिक्स विभाग की होगी।
प्रदर्शन में संरक्षक मांगीलाल मेघवाल बिलोट, राष्ट्रीय अध्यक्ष नरसिंह दास बैरागी, महासचिव भोपाल सिंह चौहान, मीडिया प्रभारी राधेश्याम गुर्जर, सचिव भेरूलाल चिकसी, सचिव भंवर सिंह गौड, निर्भय राम आंजना, अशोक शर्मा, हीरालाल लोधा, रामचंद्र डांगी सहित राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के अफीम किसान उपस्थित हुए।