एमपी में विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने चुनावी चौसर बिछाना शुरू कर दी है। कांग्रेस ने जहां पहले दौर का सर्वे पूरा कर लिया है और ये हिसाब - किताब लगा लिया है कि कैसे एमपी की सत्ता में वापसी की जाए। वहीं भाजपा ने भी आरएसएस के आसरे यह कवायद लगभग पूरी कर ली है कि एमपी में अबकी बार दो सौ पार किस फार्मूले के आधार पर होगा। उसके लिए बड़े नेताओं ने कमर कस ली है और यह तय कर लिया है की सत्ता में वापसी के लिए चाहे जितने नेताओ के टिकिट काटने पड़े कोई गुरेज़ नहीं करेंगे।
यदि कांग्रेस की बात की जाए तो जानकारों से जो खबरे निकल कर आ रही है उसके अनुसार पार्टी इस बार कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। उसके लिए कमलनाथ ने निजी एजेंसियों को हायर किया है, जो कमलनाथ के लिए सर्वे का काम कर रही है। वैसे कमलनाथ और दिग्गी राजा ने अपने स्तर पर पूरी पतारसी कर ली है कि किस जगह कौन उम्मीदवार जिताऊ हो सकता है। यदि मालवा रीज़न की बात की जाए तो यहाँ अधिकांश सीट वो है जहां से कांग्रेस हारती रही है, खबरे यह है कि पार्टी इस बार पुराने नेताओं को एक सिरे से दरकिनार कर देगी और उन उम्मीदवारों पर दांव लगाएगी, जिनका प्रोफ़ाइल एकदम नीट एन्ड क्लीन हो। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि वह उम्मीदवार अपने दम पर चुनाव में खर्चा करने की हैसियत रखता है या नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं की वो बड़े नेताओं के पैर पकड़ कर बैठ जाए की साहब चुनाव कैसे लडू मेरे पास तो कुछ भी नहीं। इस तरह के तमाम सर्वे कांग्रेस में कमलनाथ और दिग्गी राजा कर चुके हैं। अब वह एजेंसियों से इसको क्रॉस टेली करवाएंगे। उसके लिए जिन एजेंसी को हायर किया है उनके लोग एक दो दिन में भोपाल पहुंचाने वाले हैं।
वहीं बीजेपी की बात करें तो भाजपा इस बात का सर्वे तो पूरा कर चुकी की किन - किन विधायकों के टिकिट काटने हैं और ऐसे कौन से विधायक और मंत्री है जिनके क्षेत्र में भारी असंतोष है और वे चुनाव नहीं निकाल सकते बीजेपी अब इस बात के सर्वे में लगी है कि जिन विधायकों और मंत्रियों को घर का रास्ता दिखाया जाएगा उनकी जगह किन को उम्मीदवार बनाया जाए जो चुनाव निकाल सके। इसके लिए संघ और बीजेपी संगठन दोनों ही स्तर पर स्कूटनी चल रही है। उम्मीद की जा रही है कि आगामी दो माह में भाजपा समूचे एमपी के उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर लेगी।
टिकिटों का सारा गणित दोनों ही राजनैतिक दल बेहद ही गोपनीय तरीके से अंजाम दे रहे हैं, पर इतना साफ़ है कि इस बार भाजपा भी जमकर अपने सिटिंग विधायकों और मंत्रियों को घर का रास्ता दिखाने की तैयारी कर चुकी है, क्योंकि उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की विधायक कौन होगा, उसे तो सत्ता में वापसी करना है। फिर विधायक कोई भी बने और कमोबेश इसी फार्मूले पर कांग्रेस काम कर रही है। चूँकि यह तय है कि चीफ मिनिस्टर कमलनाथ बनेंगे। इसलिए इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की किसके विधायक ज्यादा बने। इसलिए कमलनाथ और दिग्विजय सिंह केवल इस बात पर ध्यान लगा रहे हैं कि चुनाव कौन निकालेगा, भले ही वो किसी का भी चहेता हो। इससे साफ़ है कि कांग्रेस में भी इस बार इस बात को कोई महत्त्व नहीं मिलेगा की कौन किसका दरबारी है, उन्हें तो सरकार में वापसी करना है।