कर्नाटक इलेक्शन को लेकर वॉइस ऑफ़ एमपी ने सबसे पहले लिखा था की इस चुनाव में कांग्रेस ने अपनी स्ट्रेटजी बदली है और उसने देश में पहली बार बीजेपी के हिंदुत्व पर चोट की तैयारी कर ली है और वो ये देखेगी की इस चोट का नतीजा क्या आता है और आज आये कर्नाटक के चुनाव नतीजों ने यह साफ़ कर दिया की कांग्रेस का बीजेपी के हिंदुत्व पर चोट वाला फार्मूला कामयाब रहा और थम्पिंग मेजॉरिटी से उसने कर्नाटक की सत्ता बीजेपी से छीन ली।
कर्नाटक चुनाव के बाद अब उसकी नज़र एमपी और राजस्थान के हिंदी भाषी इलाके पर होगी। वैसे एमपी की बात करें तो सीएम शिवराज सिंह चौहान शुरू से ही बीजेपी का वो चेहरा रहे जिसने हार्ड कोर हिंदुत्व की बात कभी नहीं की, लेकिन यूपी चुनाव के बाद शिवराज का अंदाज़ बदला और वे भी उस हिंदुत्व की राह पर चलने की कोशिश करते दिखे। उन्होंने यूपी की तर्ज़ पर एमपी में भी बुलडोज़र पर राजनीति की। साथ ही खुद को धार्मिक बताने के कई कार्यक्रम किये, जिससे वोटर्स में मैसेज दिया जा सके।
लेकिन शिवराज के व्यक्तित्व पर हिंदुत्व फबता नहीं इसलिए वे इस दिशा में ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। यदि कर्नाटक के नतीजों को आधार बनाकर यह आकलन किया जाए की क्या अब देश में हिंदुत्व के ज्वार का उतार आ गया है तो फिर बीजेपी में नितिन गडकरी और शिवराज जैसे चेहरे ज्यादा प्रभावी हो सकते हैं, क्योंकि ये अटल जी की लाइन को फॉलो करते हैं। एमपी में शिवराज वो नेता रहे जिन्होंने अल्पसंख्यकों में भी खासी पैठ बनाई थी, लेकिन यूपी चुनाव के बाद उनके बदले अवतार से वो वोट बैंक उनसे छिटक गया।
ऐसे में कर्नाटक चुनाव की सफलता के बाद लगता है कांग्रेस हिंदी पट्टी में बीजेपी के हिंदुत्व पर और करारी चोट कर सकती है और उनके हिंदुत्व वाले एजेंडे पर कांग्रेस ज्यादा मुखर हो सकती है। वैसे कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने देश में साढ़े तीन हज़ार किलोमीटर की पद यात्रा कर देश के मूड को भांप लिया। लगता है कि अब लोग बीजेपी के हिंदुत्व से ऊबने लगे हैं। उसी का परिणाम है कि राहुल ने कर्नाटक में बजरंग दल पर बैन का मेनिफेस्टो में खुलेआम ऐलान कर दिया तो क्या अब एमपी और राजस्थान चुनाव में कांग्रेस ज्यादा मुखरता से बीजेपी के हिंदुत्व पर बात करेगी।
कर्नाटक के चुनाव परिणामों के बाद डिजिटल प्लेटफार्म पर अब लोग खुलकर बीजेपी के नेताओं को ट्रोल कर रहे हैं। देश में ये पहला मौका है जब कांग्रेस ने अब सारे डर को ताक में रखकर बीजेपी के हिंदुत्व से टकराने की तैयारी कर ली है। ऐसे में हिन्दी पट्टी में होने वाले विधानसभा चुनाव बड़े दिलचस्प बनते दिख रहे हैं, क्योकि यदि हिंदुत्व का ज्वार उतार पर है तो अब बीजेपी को मुद्दों पर राजनीति करना पड़ेगी और कांग्रेस भी जमकर बीजेपी को विफलताओं पर घेरेगी। हमने कल अपनी खबर में कहा था की आने वाले विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए हलवा नहीं होंगे और जनता उसके नेताओ की जवाबदेही तय करेगी। यदि एमपी की सत्ता में भाजपा को वापसी करना है उसे ज़मीन पर जमकर कांग्रेस से दो दो हाथ करना होंगे और यह विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए बैटल फिल्ड होगा।
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