नीमच। अफ़ीम सलाहकार समिति की बैठक मंगलवार को केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के दफ्तर में हुई। इस बैठक में जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली एवं सरकार के निर्णय पर वॉईस ऑफ एमपी की टिप्पणी ने विश्लेषण कर किसानों की बात रखी वह काबिले तारीफ है और धरातल पर अफ़ीम उत्पादक कृषकों की मांग भी है। यह बात पूर्व विधायक डॉ. संपत स्वरूप जाजू ने कही। उन्होंने कहा कि अफ़ीम उत्पादक कृषकों की मांग को दो हिस्से में विभाजित कर देखना पड़ेगा।
इन बिंदुओं पर भी डाला प्रकाश-
- अफ़ीम उत्पादन करने के तरीक़े और अफ़ीम फसल से उत्पादित फ़सलों की लागत मूल्य एवं प्राकृतिक आपदा पर उत्पादक कृषक को राहत।
- अफ़ीम उत्पादन और उसके प्रोडक्ट को लेकर बने क़ानून (एनडीपीएस इत्यादि) में संशोधन कर अफ़ीम उत्पादक क्षेत्र के कृषकों को राहत।
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प्रथम बिंदु- प्रत्येक वर्ष अफ़ीम नीति की घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा की जाती हैं। दुर्भाग्य हैं कि लंबे समय से अफ़ीम उत्पादक क्षेत्र के जनप्रतिनिधि क्षेत्र के अफ़ीम उत्पादक किसानों को उनकी जायज मांगों पर निरंतर कई तरह के सब्जबाग दिखा रहे हैं लेकिन आज तक उन पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं हुए जो अपेक्षाएं जनप्रतिनिधियों से कृषकों को हैं वे उन अपेक्षाओं पर दूर दूर तक खरे नहीं उतरे।
द्वितीय बिंदु- अफ़ीम उत्पादन और उन पर बने क़ानूनो के संशोधन (एनडीपीएस इत्यादि एक्ट) का अफ़ीम की प्रत्येक वर्ष घोषित नीति से कोई लेना ना देना हैं। क़ानून में बदलाव संसद में होगा और उसके लिये सांसदों को सरकार पर तथ्यात्मक जानकारी रख क़ानून में संशोधन करवाना पड़ेगा। विगत लंबे समय से अफ़ीम उत्पादक क्षेत्र के सांसदों ने कानूनो में संशोधन या समाप्त करने के लिये क्या प्रयत्न किये दस वर्षों में कितनी बार क़ानूनों में बदलाव के बारे में केंद्र सरकार के सक्षम मंत्रालय के सम्मुख बात रखी और इन्हें सरकार ने किस गंभीरता से लेकर कार्यवाही की के बारे में अफ़ीम उत्पादक क्षेत्र के लोगों को बताने का दायित्व और कर्तव्य हैं।